कितनी ही याद आएगी तेरी, एक दिन भूल जाऊंगा, देखना अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा। अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ !! राहत इंदौरी की शायरी पढ़कर युवाओं में उर्दू साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो https://youtu.be/Lug0ffByUck